भारत के त्योहार और रीति रिवाज हर राज्य में अलग होते हैं और हर बार कुछ नई यादें छोड़ जाते हमारे पास!बस उन्हीं यादों
अभी कुछ दिन पहले ही दीपावली का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया गया। एक संस्मरण सांझा करती हूँ।थोड़ा डरावना और थोड़ा मजेदार।
संस्मरण
दीपावली की वो रात
आज भी जब वो घटना याद आती है तो मुस्कान चेहरे पर आ ही जाती है।
वैसे तो उस दिवाली की वह रात हमें दो बड़ी दुर्घटनाएं होने से बचा गई। आज से करीब सत्रह वर्ष पहले जब मैं दिल्ली अपने मायके में अपने बेटे के साथ मम्मी पापा के पास रहती थी तब की है।
दिवाली का दिन था भाई ने अपने टैंट हाऊस में बच्चों के लिए मिकी माउस वाला झूला लगवाया था । जिस पर सुबह से ही गली के सारे बच्चे खूब झूल रहे थे ।
उसी दिन भाई ने तीन फायर बैलून भी खुद ही बनाए। दिन में एक जलाया जो बहुत ही अच्छे से उड़ रहा था तो लगा भाई का प्रयोग सफल रहा।
शाम को हम जब घर में पूजा करने के बाद भाई के दुकान और टैंट हाऊस में पूजा करने के लिए गए तब मेरे बेटे के साथ मेरा भतीजा भतीजी और भाई भी उस झूले पर कूद रहे थे। भाई को इस तरह बच्चों के साथ कूदते देख हम सबकी हँसी छूट रही थी। फिर पूजा करने के बाद पापा मम्मी ने टैंट हाऊस में काम करने वाले सभी को मिठाई का डिब्बा कपड़े और पैसों का लिफाफा दिया हर साल की तरह।
मेरा भतीजा फायर बैलून जलाने की जिद्द करने लगा , जैसे ही भाई ने उसमें आग लगाई वो थोड़ी ही ऊंचाई पर जाकर झूले के ऊपर लगे टैंट पर गिर गया और टैंट में आग पकड़ने लगी मेरा बेटा झूले पर कूद ही रहा था ,जैसे ही मैंने देखा मैं दौड़कर उसे झूले से उतार लाई। जल्द ही आग बुझा दी सबने मिलकर बड़ा नुक्सान होने से बच गया। माँ लक्ष्मी की कृपा से भाई का ज्यादा नुक्सान नहीं हुआ और सभी सही सलामत थे। बस डर समा गया था।
वहाँ से लौटकर जब हम घर आ रहे थे तो एक साधु के कपड़े पहने हुए आदमी जिसे हमने जाते वक्त भी देखा था वो अपना झोला और ओढ़ने वाला कपड़ा हमारे पड़ोस वाले घर के गेट पर ही छोड़ कर भाग रहा था।उसको इस तरह भागता देख अजीब लग रहा था ,उसकी सफ़ेद दाढ़ी भी आधी लटक रही थी।मेरा बेटा उसे देखकर जोरों से हंँस रहा था।
जब हम घर पहुंचे हमारा मिट्ठू गोली मारदूंगा...गोली मारदूंगा ..और गालियांँ बक रहा था जो उसने हमारे पड़ोस वाले कालू भईया से ही उसने सीखा था। वो शराब पीकर दिन भर गाली बकते थे बस हमारा मिट्ठू भी सीख गया था।
हमने जब भाभी से पूछा इसने ऐसा क्या देख लिया जो पिंजरे में ऐसे दौड़ रहा है और गाली बक रहा है तब भाभी ने बताया।कालू भईया के यहाँ चोरी करने के इरादे से ही वो साधू ताला तोड़ रहा था, वो लोग घर पर नहीं थे बस तभी से चिल्ला रहा है यह। जब हमें सारी बात समझ आई तो जो थोड़ी देर पहले हुई दुर्घटना से डर गए थे वहीं अब सबका पेट दुखने लगा हंँसते हँसते। हमारे मिट्ठू ने पड़ोस में चोरी होने से बचा लिया और वो साधु बना लड़का भी पकड़ा गया, उसने और भी घरों में चोरी की थी जिसे अपने झोले में रखा था ।सारा सामान कालू भईया के गेट पर ही मिल गया।
दिवाली की वो रात कभी नहीं भूल पाऊंगी और अपने मिट्ठू को भी जिसे पापा और हम सबने भगवान का नाम सिखाने की कितनी कोशिश की। दिनभर टेपरिकॉर्डर में अनूप जलोटा का भजन बजा देते थे जिससे वो राम नाम ही बोलना सीख जाए पर वो तो पड़ोस के घर से आती गालियों को ही सीख गया जो उन्हीं के घर चोरी होने से बचा गया।
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कविता झा'काव्या
राँची, झारखंड
Mithi . S
08-Nov-2022 08:29 PM
Bahut khub
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shweta soni
08-Nov-2022 04:14 PM
बहुत खूब 👌
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Khan
07-Nov-2022 04:11 PM
Bahut khoob 😊🌸
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